एमपी के छिन्दवाड़ा में शनिवार को विश्वप्रसिद्ध गोटमार मेला आयोजित हुआ जिसमें प्रशासन की लाख कोशिशों के बाबजूद भी लोगो ने जमकर एक दूसरे पर पत्थर बरसाए……दअरसल एमपी के छिंदवाड़ा में बरसों पुरानी चली आ रही परंपरा के अनुसार पांढुर्णा में आज फिर विश्व प्रसिद्ध खूनी खेल गोटमार मेला में पत्थर बरसाए गए और खूनी खेल खेला गया।पिछले सैकड़ों बरसों से यह परंपरा चली आ रही है जिसमे लोग एक दूसरे के ऊपर पत्थर बरसाते हैं लेकिन प्रशासन भी परंपरा के आगे सिर्फ मूकदर्शक बनने से ज्यादा कुछ नहीं कर सकता हालांकि प्रशासन हर साल कोशिश जरूर करता है कि लोग इस खूनी खेल को न खेले लेकिन परंपरा के नाम पर मौत का ये खूनी खेल निरंतर जारी है….. छिंदवाड़ा के पांढुर्णा में जाम नदी पर आज एक मेले का आयोजन किया गया जिसे गोटमार के नाम से जाना जाता है इस मेले के दौरान मेले की आराध्य देवी मां चंडिका के पूजन उपरांत जाम नदी के बीचो-बीच पलाश का पेड़ और झंडा गाड़ा गया और फिर एक और से पांढुर्णा के लोग तथा दूसरी और से सावरगावं के लोग एक दूसरे पर पत्थर बरसाने लगे जिसमे लगभग 250 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं।
:-गोटमार मेले का इतिहास लगभग 300 साल पुराना बताया जाता है,पांढुर्णा के जाम नदी के दोनों ओर से लोगों के बीच खेले जाने वाले इस खूनी खेल के पीछे एक प्रेम कहानी जुड़ी हुई है….बताया जाता है कि पांढुर्णा का एक लड़का और नदी के दूसरी तरफ के एक गांव की लड़की से प्यार किया करता था।दोनों के इस प्रेम प्रसंग को विवाह बंधन में बदलने के लिए कन्या पक्ष के लोग राजी नहीं हुए तो युवक ने अपनी प्रेमिका को जीवनसाथी बनाने के लिए सावरगांव से भगाकर पांढुर्णा लाने का प्रयत्न किया लेकिन रास्ते में स्थित जाम नदी को पार करते समय जब बात सावरगांव वालों को मालूम हुई तो उन्होंने इसे अपनी प्रतिष्ठा पर आघात समझ कर लड़के पर पत्थरों की बौछार कर दी जैसे ही वर पक्ष बालों को यह खबर लगी तो उन्होंने भी लड़के के बचाव के लिए पत्थरो की बौछार शुरू कर दी।पांढुर्णा पक्ष एवं सावरगांव पक्ष के बीच इस पत्थरों की बौछारो से इन दोनों प्रेमियों की मृत्यु जाम नदी के बीच हो गई थी‌‌।इन दोनों प्रेमियों के शव को उठाकर मां चंडिका के दरबार में ले जाकर रखा और पूजा अर्चन करने के बाद अंतिम संस्कार किया था इसी घटना की याद में मां चंडीका की पूजा अर्चना कर गोटमार मेले को मनाया जाता है और कई वर्षों से यह परंपरा निरंतर चली आ रही है।

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