खबर मध्यप्रदेश।। हम सभी जानते हैं की श्री कृष्ण का संबंध द्वापर युग से है । द्वापर युग के बाद अभी कलयुग चल रहा है पर अभी भी एक ऐसी जगह है , जहां जाने के बाद आपको लगेगा कि आप द्वापर युग में आ गए हैं ।श्री कृष्णा से जुड़ा एक ऐसा गांव जिसे कृष्णा घाटी या मॉडर्न व्रज के नाम से जाना जा रहा है । सोशल मीडिया में ऐसा ही एक वीडियो वायरल है देखे वीडियो ।
यहां आने के बाद आपको लगेगा कि आप पहले समय के ब्रजभूमि में ही पहुंच गए हैं यहां आज भी महिलाएं साड़ी पहनी हुई तथा पुरुष लोग धोती कुर्ता में दिखेंगे सर पर तिलक लगाए नजर आएंगे । रास्ते में लोग मिलेंगे तो वह आपसे हेलो हाय नहीं बल्कि हरे कृष्णा बोलकर आपको नमन करेंगे लेकिन हैरान तो आप तब हो जाओगे जब आपको पता चलेगा कि यह जगह भारत में है ही नहीं। कृष्णा घाटी इंग्लिश में कहे तो Krishna Valley .
660 एकड़ में फैला यह गांव यूरोप में स्थित है । बुडापेस्ट जो की हंगरी की राजधानी है वहां से यह गांव 180 किलोमीटर साउथ वेस्ट डायरेक्शन में स्थित है ।
जहां हमारे भारतीय लोग अपनी संस्कृति को भूल वेस्टर्न कल्चर को अपना रहे हैं , वहीं विदेशी लोग अपने कल्चर को छोड़ हमारी भारतीय संस्कृति को अपना रहे हैं और साथ ही साथ इसका महत्व भी समझ रहे हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है हंगरी का यह छोटा सा गांव कृष्णा घाटी या कहे कृष्णा वैली also known as New ब्रजधाम
150 कृष्णा भक्तो का यह गांव आज यूरोप का सबसे पुराना एवं बड़ा eco फॉर्म बन चुका है । परंतु क्यों खास है यह यूरोप का गांव और क्यों उसे न्यू ब्रिज धाम कहा जा रहा है ?
इस गांव को सबसे खास बनाती है यहां के लोगों द्वारा अपनाया गया वैष्णव culture। कृष्णा वैली जो कि हमारे भारत से 4 से 5 हज़ार किलोमीटर की दूरी पर है , परंतु इतनी दूर होकर भी इस गांव के लोगों ने हमारे सनातनी धर्म को अपनाया ही नहीं बल्कि उसे यहां के लोगों ने अपने जीवन में ढाला भी है। वृंदावन जो कि कृष्ण जी की भूमि है यह भारत की राजधानी दिल्ली से साउथ की तरफ 3 घंटे की ड्राइव पर है , ठीक ऐसे ही कृष्णा वैली जिसे न्यू वृंदावन कहना गलत नहीं होगा बुडापेस्ट जो कि हंगरी की राजधानी है से साउथ की तरफ साढ़े 3 घंटे की दूरी पर है। बुडापेस्ट में 4 रेलवे स्टेशन है जिन में से 1 का नाम है डेली है ।
परंतु कैसे सबसे अलग है यह कृष्णा वैली । अगर आप यहां के प्रवेश द्वार से अंदर आएंगे तो आप पाओगे एक बिल्कुल अलग दुनिया, एक ड्रीम विलेज यानी कि सपनों का गांव ।
अगर आप भी नेचर लवर हो और भगवान में आस्था रखते हो तो आपने भी ऐसी जगह रहने का सपना देखा होगा । कृष्णा वैली को बिल्कुल वृंदावन की तरह बनाया गया है चारों तरफ हरे भरे पेड़ , पशु -पक्षी , साथ ही ऐसे स्ट्रक्चर्स बनाए गए हैं जो कि आपको भगवान श्री कृष्ण की नगरी वृंदावन की याद दिलाते रहे।
इस वाली से होकर बहने वाली नदी को यमुना भी कहा जाता है। भारत की तरह यहां भी नहाने का स्थान सीढ़ियों के रूप में बनाया गया है , जहां महिलाएं और पुरुष अलग-अलग स्नान करते हैं । आप देखोगे कि यहां के लोगों ने अपना पहनावा खान-पान रहन-सहन और दिनचर्या सभी हमारे भारतीय संस्कृति के अनुसार की है। यह गांव पूरी तरह से आत्मनिर्भर है ।
यहां खेती जैविक यानी कि ऑर्गेनिक आधार पर बिना किसी रासायनिक पदार्थों के इस्तेमाल के की जाती है । हमारे देश की तरह यहां भी जानवरों की सेवा की जाती है , मुख्य रूप से गाय को माता माना जाता है और दुग्ध उत्पाद जैसे कि दूध दही इत्यादि प्राप्त किया जाता है । आपको यहां डेयरी फार्मिंग , बी फार्मिंग और कई ऑर्गेनिक फार्मिंग देखने को मिलेंगे । खेती भी यहां पारंपरिक रूप से बैलों से होती है, और कोई भी सामान ले जाने के लिए बैलगाड़ी का इस्तेमाल होता है । यहां आपको गौशाला भी देखने को मिल जाएंगे जहां इन जानवरों को रखा जाता है, और इनका पालन पोषण किया जाता है । यहां के सभी लोग पूरी तरह से शाकाहारी है । यहां आपको राधा कृष्ण जी का भव्य मंदिर भी मिल जाएगा जहां आपको सुबह-शाम भजन सुनने को मिलेंगे । यहाँ के लोग ईश्वर प्रेमी है और ईश्वर केंद्रित जीवन शैली जीना पसंद करते हैं ।
यहां कोई भी उत्पादन हो उसे सबसे पहले श्री कृष्ण जी को भोग लगाया जाता है ।यहां के स्कूलों में भी आप देखोगे कि यहां के बच्चों को मूल शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक एवं वैदिक शिक्षा भी दी जाती है। बच्चों को छोटी उम्र से ही भागवत ज्ञान दिया जाता है , ताकि उनकी ईश्वर के प्रति आस्था एवं विश्वास बढ़ सके । आपको यहां एक गेस्ट हाउस एक शुद्ध शाकाहारी रेस्टोरेंट और अन्य अतिथि सुविधा मिल जाएगी । कृष्णा घाटी में हर साल 30000 से भी ज्यादा टूरिस्ट आते हैं, जिनमें से 10000 तीर्थ यात्री होते हैं । यहां के लोग भारतीय त्योहारों को भी बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं । जगह अलग है अंदाज वही भारतीय और पारंपरिक रहता है ।
परंतु भारत से हजारों किलोमीटर दूर स्थित यह गांव जो कि भारतीय संस्कृति से परिपूर्ण है , आखिर कैसे बना । इस गांव की स्थापना आज से करीब 30 साल पहले 1993 में शिवराम स्वामी द्वारा की गई जो कि इस्कॉन के मेंबर है । इस्कॉन यानी कि इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस , जिसे हरे कृष्ण मूवमेंट के नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्थापना हुई 1966 में और यह दुनिया भर में कृष्ण भक्ति एवं प्रचार के लिए प्रसिद्ध है और उनके द्वारा बनाया गया यह गांव आज हंगरी का सबसे बड़ा हिंदू गांव बन चुका है। और हमें भी इस गांव से कुछ सीखना चाहिए और अपनी संस्कृति के महत्व को पहचानना चाहिए।