आज सोमवार को कार्तिक मास की पूर्णिमा है।इसी तिथि पर भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था।ब्रह्माजी जी द्वारा चारों वेदों की रचना की गई थी। इन वेदों को हयग्रीव नामक राक्षश निगल गया। उसे कई वरदान प्राप्त थे। ऐसे में भगवान विष्णु ने उसे मारने के लिए कार्तिक पूर्णिमा की शाम का समय मत्स्य अवतार के लिए चुना था। वहीं एक अन्य मान्यता और है।
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा व गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। इस पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अन्त किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे।ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है।
एक अन्य मान्यता है कि इस दिन देवताओं की दीपावली होती है। इसीलिए इसे देव दीपावली कहते हैं। इस दिन से कार्तिक मास के स्नान समाप्त हो जाएंगे।
- कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान, दीपदान, पूजा, आरती, हवन और दान का बहुत महत्व है। जानिए इस पूर्णिमा का महत्व और इस दिन कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं..
- भगवान विष्णु के लिए सत्यनारायण भगवान की कथा करनी चाहिए।
- इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। स्नान के बाद दीपदान, पूजा, आरती और दान किया जाता है।
- कार्तिक पूर्णिमा पर गरीबों को फल, अनाज, दाल, चावल, गरम वस्त्र आदि चीजों का दान करना चाहिए।
- कार्तिक पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठना चाहिए। पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय सभी तीर्थों का ध्यान करना चाहिए। स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। अभिषेक करें। कर्पूर जलाकर आरती करें। शिवजी के साथ ही गणेशजी, माता पार्वती, कार्तिकेय स्वामी और नंदी की भी विशेष पूजा करें।
- पूर्णिमा पर हनुमानजी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।