सरकार विलय के लिए बैंकिंग रेगुलेशन अमेंडमेंट एक्ट में बदलाव की तैयारी में है । सरकार ने एक बार फिर बैंकों की मर्जर की तैयारी की है। भारत सरकार ने चार छोटी बैंक का आपस मे विलय करने की योजना बनाई है। कुछ रिपोर्टर्स के अनुसार सरकार का PSU बैंको के विलय की राउंड – 2 की प्लानिंग शुरू हो गई है।
इसमें सरकार चार छोटे बैंक को की विलय के लिए दो विकल्पों पर विचार कर रही है। जिसके लिए सरकार बैंकिंग रेगुलेशन अमेंडमेंट एक्ट में भी बदलाव कर सकती है। यह योजना सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत बनाने और उनके वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा बनाने के लिए किया जा रहा है। सरकार का कहना है कि विलय से बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी। जिससे वह बेहतर सेवाएं लोगों को दे पाएगी।
एक रिपोर्ट के अनुसार , सरकार ने चार PSU बैंकों की विलय की योजना बना रही है। जिसमें यूको बैंक, बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र, पंजाब एंड सिंध बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया जैसे PSU बैंक शामिल है।
इसमें सरकार दो विकल्पों पर विचार कर रही है। जिसमें पहला विकल्प में यूको बैंक और बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र का विलय हो सकता है, साथ ही पंजाब एंड सिंध बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया का भी विलय हो सकता है। वहीं सरकार दूसरे विकल्प में यह सोच रही है कि बैंकिंग सॉफ्टवेयर के हिसाब से यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया और केनरा बैंक या इंडियन बैंक का विलय करना चाहिए।
इस विलय पर कुछ कर्मचारी का विरोध देखने को मिला है , क्योंकि उनका कहना है कि बैंकों की विलय के कारण उनकी नौकरी छूट सकती है। विलय से संबंधित कोई भी निर्णय में बैंकों की भूमिका नहीं होगी। इस विलय से संबंधित सारे निर्णय सरकार द्वारा लिया जाएगा। यह बिल भारत के बैंकिंग उद्योग के लिए महत्वपूर्ण घटना होगी ।

सेंट्रल बैंक में सरकार का 93.08% हिस्सेदारी है और वही बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र में सरकार का 86.46% हिस्सेदारी है। जबकि पंजाब एंड सिंध बैंक में सरकार का 98.25%, यूको बैंक में 95.39% का हिस्सा है।

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