कुबरेश्वर धाम के पंडित प्रदीप मिश्रा फिर से अपने विवादित बयान के वजह से फंस गए है। पंडित प्रदीप मिश्रा के राधा रानी पर दिए बयान के बाद एक नया विवाद और जुड़ गया है ।
कल उन्होंने बरसाना जाकर श्रीजी के सामने नाक रगड़कर माफी मांगी थी। उसके बाद पंडित प्रदीप मिश्रा ने तुलसीदास जी को गवाँर बताया था , लेकिन अब ताप्ती नदी को लेकर दिए गए बयान से वे फिर से भक्तों के निशाने पर आ गए हैं। एक कथा के दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि ताप्ती का श्रीकृष्ण के प्रति आकर्षण हो गया था। जिसके बाद यमुना जी ने ताप्ती को श्राप दिया था। उनके इस विवादित बयान के बाद अब लोगों में काफी आक्रोश है।
मुलताई के ताप्ती मंदिर के प्रमुख पुजारी ने कहा है कि वे ताप्ती मां से मुलताई आकर माफी मांगें वरना उनके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।
बैतूल में पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव पुराण कथा आयोजित की गई थी। इस दौरान उन्होंने ताप्ती नदी पर विवादित टिप्पणी कर दी। उन्होंने कह दिया कि ‘माता यमुना और उनकी छोटी बहन ताप्ती की आपस में कभी नहीं बनी। यमुना जी का नियम था कि जिस समय उनके घाट पर भगवान रास करेंगे, उस समय यमुना ठाकुर जी के श्री विग्रह पर आए पसीने को पोंछने के लिए जाएंगी।

एक बार यमुना का रूप रखकर ताप्ती चली गईं। ताप्ती ने श्री विग्रह के पसीने को पोंछ दिया। इसी दौरान यमुना जी वहां पहुंचीं और ताप्ती को वहां देखा। यमुना जी को गुस्सा आ गया। उन्होंने पूछा तो ताप्ती ने कहा-मैं कृष्ण को अपना बनाना चाहती हूं।’

इस पर यमुना ने क्रोध में आकर ताप्ती को श्राप दिया कि किसी भी नदी में अस्थियां विसर्जित होंगी तो उनको गलने में 44 दिन लगेंगे लेकिन तेरे जल में वे तुरंत समाप्त हो जाएंगी। आज भी ताप्ती नदी में अस्थियों को डाला जाता है तो वह डेढ़ घंटे के अंदर पानी में बह जाती है।’
वही मां सूर्यपुत्र ताप्ती जागृति समिति के प्रदेश अध्यक्ष रामकिशोर पवार ने प्रदीप मिश्रा को चेतावनी दी है कि वह बयान को सिद्ध करें कि क्या माँ ताप्ती शापित नदी है और इस बात का उनके पास क्या प्रमाण है । उन्होंने कहा कि पुण्य श्री ताप्ती जी और उनकी बहन भद्रा को लेकर इसके पहले भी प्रदीप मिश्रा कुछ गलत जानकारी देकर जा चुके है। मैं भी उनको बार-बार निवेदन किया की प्रदीप मिश्रा जी आपके फॉलोवर बहुत होंगे पर आपको ये ध्यान रखना पड़ेगा भगवान के लिए , उस पिता परमेश्वर के लिए , व्यास पीठ के लिए , व्यास पीठ पर बैठकर ऐसी कोई बात ना करें जो बात के बतंगड़ बन जाए।

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