चौरसिया परिवार द्वारा आयोजित षष्टी माता मंदिर में चल रही संगीतमय नव दिवसीय शिवमहापुराण की कथा के अंतर्गत आज कथा व्यास आचार्य पं. श्रवण कृष्ण जी महाराज ने भगवान शिव पार्वती के वाद माँ पार्वती की विदाई का बहुत ही मार्मिक वर्णन किया, जिसमे उन्होंने बताया कि पार्वती जी की माँ मैना रानी ने अपनी बिटिया पार्वती से कहा कि पति से कभी क्रोध न करे,पति से कुटिलता से न बोले,पति के आज्ञा के बिना कंही न जाये ,अकारण किसी के यहां न बैठे। वृद्ध ,रोगी,धनहीन,कैसा भी पति हो उसका त्याग न करे उसका सदैव सम्मान करें।
आगे कथा व्यास महाराज जी ने तारका सुर का अत्याचार और देवताओं की पुकार पर कार्तिक भगवान का जन्म तारकासुर का वध, माँ पार्वती द्वारा अपने शरीर के उबटन से भगवान गणेश का प्राकट्य, भगवान गणेश के प्रथम पूजित होने का वरदान, ओर श्री गणेश का पावन विवाह की कथा , जालंधर दैत्य की उतपत्ति-वरदान,एवं इंद्र विष्णु, आदि देवताओं से महायुद्ध,शिव जालंधर युद्ध, जलन्धर पत्नी वृंदा का पतिव्रता व्रत भंग की कथा, ओर जलन्धर का वध, धात्री ,मालती ओर तुलसी की उतपत्ति, शंखचूड़ की उतपत्ति, विवाह, वरदान एवं वध, तुलसी द्वारा विष्णु को श्राप, शालिग्राम भगवान की उतपत्ति की कथा के माध्यम से पतिव्रताधर्म का मनोहर वर्णन करते हुए प्रवचन कर्ता ने कहा स्त्रियों का महान व्रत पतिव्रता धर्म ही है जिससे उसके पति का घर की उन्नति और शांति बनी रहती है ।

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