खबर मध्यप्रदेश ।।
मानो तो भगवान ना मानो तो पाषण ये तो आपने सुना ही होगा , अगर विश्वास हो तो पत्थर को भी भगवान मानकर लोग पूजते है । लेकिन अगर वो पत्थर किसी जीव का अंडा हो तो आप क्या कहेंगे?
जी हां, दरअसल मध्यप्रदेश के धार में जिसे लोग कुलदेवता मानकर पूजा कर रहे थे वह डायनासोर का अंडा निकला। वैज्ञानिकों की जांच में मामला सामने आया जिसके बाद लोग हैरान हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक पांडलया गांव के रहने वाले 40 साल के वेस्ता मांडलोई को खुदाई के दौरान एक गोलाकार पत्थरनुमा आकृति वाली वस्तु मिली थी। वो इसे अपने पूर्वजों के कुल देवता के रूप में मानने लगे। वेस्ता इन गोलकार पत्थर को काकर भैरव के रूप में पूज रहे थे। उनके घर में ये परंपरा पूर्वजों के दौर से ही चली आ रही है जिसका पालन वो भी कर रहे थे। उनका मानना है कि ये कुलदेवता खेती और मवेशियों की रक्षा करते हैं और उन्हें संकट से बचाते हैं।
कैसे पता चला
“ककार” का अर्थ है भूमि या खेत और “भैरव” भगवान को दर्शाता है। मंडलोई की तरह, कई अन्य लोगों ने धार और आसपास के जिलों में खुदाई के दौरान मिली समान गेंदों की पूजा शुरू कर दी थी। गोल पत्थरनुमा आकृति की पूजा का मामला काफी चर्चा में था। इसका खुलासा तब हुआ जब लखनऊ के बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज (BSIP)के विशेषज्ञों ने हाल ही में इस क्षेत्र का दौरा किया, तब निवासियों को पता चला कि वे जिन गेंदों की पूजा कर रहे थे, वे डायनासोर की टाइटेनोसॉरस प्रजाति के जीवाश्म अंडे थे। इसके बाद विशेषज्ञों ने लोगों को इस आकृति की असलियत के बारे में लोगों को बताना शुरू किया। निदेशक एमजी ठक्कर के नेतृत्व में बीएसआईपी के सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ जियोहेरिटेज एंड जियोटूरिज्म (सीपीजीजी) के पेलियो वैज्ञानिकों की टीम ने ऐसे सभी जीवाश्मों के संरक्षण के लिए एक रोडमैप तैयार करने के लिए धार का दौरा किया।