छिन्दवाड़ा:- जिले के युवा सांसद श्री नकुलनाथ ने जुन्नारदेव विधानसभा क्षेत्र की चार कोयला खदानों की स्वीकृति के लिये एक महत्वपूर्ण पत्र केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री तथा वन सचिव को प्रेषित कर अवगत कराया कि वन एवं पर्यावरण/जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के पास वन संरक्षण अधिनियम 1980 के अन्तर्गत स्वीकृति हेतु विचाराधीन है जिस पर अविलम्ब निर्णय लिया जाये जिससे तीन हजार कोयला खदानों के कामगारों को रोजगार प्राप्त हो सकें।

सांसद श्री नकुलनाथ ने अपने पत्र के माध्यम से कहा कि विविध सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक गतिविधियों में अग्रसर मेरा संसदीय क्षेत्र छिन्दवाड़ा अपनी कोयला खदानों के लिये भी सम्पूर्ण भारतवर्ष में अपनी प्रथक पहचान रखता है। कोयला से भरपूर हमारा पेंच एवं कन्हान क्षेत्र दमुआ से तानसी तक फैला हुआ है। इसकी भूमिगत खदानों को जीवन देने और इन्हें बचाये रखने के साथ हजारों कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के सार्थक प्रयास विगत चार दशकों से सतत जारी रहे हैं, परन्तु वर्तमान में कोल मंत्रालय तथा वन एवं पर्यावरण/जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा इस क्षेत्र की अनदेखी किये जाने का खामियाजा सम्पूर्ण क्षेत्र को भुगतना पड़ रहा है पर्यावरण को प्रेषित पत्र के माध्यम से अवगत कराया कि छिन्दवाड़ा जिले में वेर्स्टन कोल फील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) के कन्हान क्षेत्र विधानसभा जुन्नारदेव में संचालित भूमिगत खदानें क्रमश: तानसी- 206.826 हे. मोहन-मोआरी खदान 255.117 हे.धाऊनार्थ 57.618 हे. व भारत ओपन कास्ट खदान 14.00 हे. के प्रस्ताव वन एवं पर्यावरण/जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के पास वन संरक्षण अधिनियम 1980 के अन्तर्गत स्वीकृति हेतु विचाराधीन है। सम्बंधित मंत्रालयों एवं सक्षम अधिकारियों द्वारा उक्त खदानों के प्रस्तावों पर निर्णय लेने के स्थान पर जानकारी लेने अथवा जानकारी प्राप्त न होने की वजह बताते हुये स्वीकृति नहीं दी जा रही है।

आपको विदित हो कि सार्थक कार्यवाही न होने की स्थिति व स्वीकृति न मिलने पर वेकोलि द्वारा उपरोक्त चारों खदानों को बंद कर दिया गया है जो कि पूर्णतया अव्यवहारिक है। इन खदानों के बंद होने से लगभग दो हजार वेकोलि के कर्मचारी एवं एक हजार ठेकेदारी के कर्मचारी अपनी रोजी रोटी से प्रभावित हुये हैं। वेकोलि ने इन समस्त कर्मचारियों को जिले के बाहर अन्यत्र स्थानों पर भेज दिया है। समुचित प्रक्रियाओं के उपरांत भी सम्बंधित विभाग व अधिकारियों द्वारा सार्थक निर्णय न लिये जाने से वेकोलि द्वारा उठाया गया यह कदम कामगारों के हक व हितों को प्रभावित करता है।

श्री नकुलनाथ ने अपने पत्र के अंत में आग्रह पूर्वक लिखा कि सम्पूर्ण विषय को संज्ञान में लेते हुये जानकारी के अभाव (Query) के स्थान पर स्वीकृति देने का कष्ट करें ताकि छिन्दवाड़ा जिले के कोयलांचल क्षेत्र एवं तीन हजार कामगार व उन पर आश्रितों का भविष्य बचाया जा सके।

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