खबर मध्यप्रदेश।। ऐसा माना जाता है कि मध्य प्रदेश के सतपुड़ा के जंगलों में एक ऐसा पेड़ पाया जाता है जिसके फल को यदि हम अपने घर के आसपास रख लें तो घर में सांप नहीं आते। वहीं, इस पेड़ में कुछ ऐसे औषधीय गुण हैं जो सांप के जहर को उतार देते हैं। इस पेड़ को गरुड़ वृक्ष के नाम से जाना जाता है और इसके फल को गरुड़ फल के नाम से जाना जाता है। यह मानता इसलिए मिली है क्योंकि इसका फल देखने में बिल्कुल सांप जैसा लगता है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, दोषों की लिस्ट में में कालसर्प दोष का भी जिक्र देखने को मिलता है।
कालसर्प दोष को खत्म करने के लिए गरुड़ वृक्ष का सहारा लिया जाता है, जिससे यह वृक्ष खतरे में पड़ गया है, वृक्ष की धुरंधर कटाई जारी है।

गरुड़ फल क्या है ?

जबलपुर के राज्य वन अनुसंधान केंद्र के संग्रहालय में गरुड़ नाम का एक फल रखा हुआ है। यह लगभग 3 फीट लंबी सांप के आकार की फली है। इसको यदि जलाया जाएगा तो इसके भीतर से गंध आती है। वन्य अनुसंधान केंद्र के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट डॉ. उदय होमकर का कहना है कि ”यह पेड़ मध्य प्रदेश वनों में बहुत आयात में पाया जाता है। खासतौर पर अमरकंटक के जंगलों में गरुड़ फल के पेड़ पाए जाते है।

गरुड़ फल की तांत्रिक और ज्योतिषी महत्व

लोगों में ऐसी मान्यता है कि गरुण फल एक चमत्कारी फल है। न केवल इसका फल बल्कि स्पीड की लकड़ी भी चमत्कारी मानी जाती है। अलग-अलग तंत्र विद्या जानने वाले लोग इसका अलग-अलग महत्व बताते हैं लेकिन जो सामान्य चीज प्रचलन में है उनमें यह कहा जाता है कि गरुड़ फल जिस घर में होता है उसे घर में सांप नहीं आते। इसलिए बहुत से लोग गरुड़ फल को अपने घर में विषैला जीव जंतुओं से दूर रखने के लिए रखते हैं।
वहीं ज्योतिष महत्व के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि जिन्हें कालसर्प दोष होता है उन्हें अपने पास गरुड़ फल रखना चाहिए। कालसर्प योग, सामान्य योग है इसलिए बहुत से लोग इस वजह से भी इस फल को अपने पास ले जाते हैं। तीसरी मान्यता यह है कि गरुड़ फल को यदि अपने खजाने में रख लिया जाए तो इससे खजाना भरा रहता है । इसलिए कुछ लोग इस फल को अपने खजाने के आसपास भी रखते हैं। इस फल के इन्हीं सब मान्यताओं की वजह से इसकी बहुत मांग रहती है।
वैज्ञानिक रूप से इस वृक्ष में एक किस्म की गंध होती है और इसी रसायन की बदबू की वजह से कई विषैले जीव इसके आसपास नहीं आते। हमारे पुराने आयुर्वेदिक किताबो में इनका जिक्र है। लेकिन उनकी पूरी रिसर्च नहीं हो पा रही है।

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